Haryana News : राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रहने वाले नरेश, जो खेती-बाड़ी से अपने परिवार का गुजारा करते हैं, कभी नहीं सोचा था कि उनकी मेहनत की कमाई एक झटके में ठगों की चाल में फंस जाएगी। सिरसा में हुई इस घटना ने न केवल नरेश को हिलाकर रख दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे भोले-भाले लोगों को ठग आसानी से अपने जाल में फंसा लेते हैं।
नरेश की कहानी न सिर्फ एक चेतावनी है, बल्कि यह भी बताती है कि पुलिस की तत्परता से अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सकता है।
कैसे शुरू हुआ ठगी का खेल?
करीब 15-20 दिन पहले की बात है, जब नरेश सिरसा के बस स्टैंड पर खड़े थे। वहां उनकी मुलाकात विजय कुमार नाम के एक शख्स से हुई, जो सिरसा की खन्ना कॉलोनी का रहने वाला बताया। विजय ने नरेश को लालच भरे सपने दिखाए। उसने दावा किया कि उसकी कंपनी में पैसा लगाने से रकम को तुरंत दोगुना किया जा सकता है।
विजय ने अपने दोस्त ईश्वर सिंह का जिक्र किया, जो जींद के बिघाना का रहने वाला था। उसने कहा कि उनकी कंपनी में लोग पैसा लगाते हैं और मौके पर ही दोगुना रिटर्न पाते हैं। नरेश को यह बात कुछ हद तक भरोसेमंद लगी, क्योंकि विजय ने अपना मोबाइल नंबर तक दे दिया और कहा कि जब चाहें, संपर्क कर सकते हैं।
लालच में फंसा भोलापन
विजय और नरेश के बीच व्हाट्सएप और फोन पर बातचीत होने लगी। विजय ने बार-बार कंपनी की मीटिंग और पैसे दोगुना करने की बात कही। आखिरकार, एक दिन नरेश ने हिम्मत जुटाई और विजय को कॉल किया। विजय ने उन्हें सिरसा के बस स्टैंड से महाराणा प्रताप चौक आने को कहा।
वहां रास्ते में एक स्विफ्ट कार में विजय और उसका साथी मिले। नरेश ने भरोसा करते हुए 10 हजार रुपये विजय को सौंप दिए। बदले में, विजय ने उन्हें 100-100 रुपये के नोटों की दो गड्डियां थमा दीं। लेकिन जब नरेश ने गड्डियों को ध्यान से देखा, तो उनके होश उड़ गए। नोट असली नहीं, बल्कि फोटोकॉपी थे। यह धोखा नरेश के लिए किसी सदमे से कम नहीं था।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
नरेश ने बिना देर किए सिविल लाइन थाना पुलिस से संपर्क किया और पूरी घटना की शिकायत दर्ज की। थाना प्रभारी राम कुमार ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने ठगों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया और जल्द ही विजय कुमार और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उनके कब्जे से ठगी में इस्तेमाल की गई स्विफ्ट कार और 50 हजार रुपये की नकली करेंसी भी बरामद की।
अब पुलिस दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रही है, ताकि रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा सके और इस ठगी के गिरोह के अन्य सदस्यों का पता लगाया जा सके।
सतर्कता ही बचाव
यह घटना एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि लालच और जल्दबाजी में लिए गए फैसले भारी पड़ सकते हैं। नरेश जैसे कई लोग हर दिन ऐसे ठगों का शिकार बनते हैं, जो चिकनी-चुपड़ी बातों से भरोसा जीत लेते हैं। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई कर एक मिसाल पेश की है, लेकिन हमें भी सतर्क रहना होगा। कोई भी स्कीम जो असामान्य रिटर्न का वादा करे, उसकी गहराई से जांच जरूरी है।
अपराध पर पुलिस की नजर
सिविल लाइन थाना पुलिस की इस कार्रवाई ने नकली करेंसी और ठगी के मामलों में सख्ती की मिसाल दी है। राम कुमार ने बताया कि पुलिस इस तरह के अपराधों पर कड़ी नजर रख रही है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान भी चलाए जा सकते हैं। नरेश की हिम्मत और पुलिस की सतर्कता ने इस मामले में दो अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया, लेकिन यह कहानी हमें सिखाती है कि सावधानी और जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है।
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