सिराेही, 25 अप्रैल .
आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारीज़ के मुख्यालय शांतिवन में शिक्षा प्रभाग द्वारा आयोजित शिक्षकों के महासम्मेलन के शुभारंभ पर पहलगाम में आतंकी हमलों में दिवंगत लोगों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजली अर्पित की गई.
समग्र कल्याण के लिए शिक्षा विषय पर आयोजित सम्मेलन का केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत एक दिन आध्यात्मिक आधार पर विश्व की महाशक्ति बनेगा. भारत की नई शिक्षा नीति 2020 में लागू की गई लेकिन ब्रह्माकुमारीज़ ने 88 साल पहले मूल्य शिक्षा देने के लिए पहल शुरू कर दी थी. संस्थान ने शिक्षा को अध्यात्म की पद्धति बनाई. फिजिक्स, कैमिस्टी, हिस्टी पढ़ने से मनुष्यों की दक्षता बढ़ती है, लेकिन मनुष्य तैयार नहीं होता है. अच्छा मनुष्य बनने के लिए मूल्य शिक्षा, आध्यात्मिक शिक्षा जरूरी है. जो समाज के लिए मूलभूत शिक्षा है, यहां ब्रह्माकुमार भाई-बहनें आठ दशकों से प्रेक्टिस कर रहे हैं.
सम्मेलन में भाग लेने के लिए देशभर से 400 से अधिक शिक्षाविद पहुंचे है.
उन्होंने कहा कि पाश्चात्य यदि जीवन को पटरी पर रखता तो शायद आज विश्व का पर्यावरण इतना खराब नहीं होता. भारत के सामान्य लोगों और जीवन में आध्यात्मिकता भरी पड़ी है. यहां बैठे शिक्षाविद् यदि और कोई क्षेत्र का चुनाव करते तो शायद आपका भौतिक विकास बहुत अच्छा होता लेकिन आपने समाज को परिवर्तन करने के लिए शिक्षा का क्षेत्र चुना और शिक्षक बने. उन्होंने कहा कि जब भारत आजादी की शताब्दी मना रहा होगा, वहीं ब्रह्माकुमारीज़ लोगों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा के माध्यम से नया दिग्दर्शन देने के लिए समर्पित रूप से लगा होगा. ब्रह्माकुमारीज़ की वैल्यु एजुकेशन के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से झलकती है. आज हम शिक्षा प्रभाग की नई इनीशिएटिव की शुरु कर रहे हैं जो आज के समय के लिए बहुत जरूरी है. लीप प्रोग्राम का उद्देश्य ऐसे व्यक्तित्वों का निर्माण करना है जिनका जीवन मूल्यों से जुड़ा हो.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि 1937 के उस दौर में अखंड भारत देश का एक तबका आजादी की लड़ाई में लगा था वहीं ब्रह्मा बाबा ने सपना देखा कि यदि हमारा देश आजाद होगा तो उसका क्या भविष्य होगा. देश आजाद हो जाने से स्वराज मिल सकता है, स्वराज्य नहीं आ जाएगा. इसलिए उन्होंने लोगों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ विश्व विद्यालय की नींव रखी. शिक्षा को आध्यात्मिकता से जोड़ने की पहल शुरू की.
शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि मैं पिछले 25 साल से ब्रह्माकुमारीज़ को जानता हूं. मनुष्य लोभ, मोह, अहंकार में फंसा रहता है लेकिन उसी मनुष्य को भगवान बनाने का एक माध्यम चाहिए जो यह संगठन कर रहा है. आज मैं ब्रह्माकुमारीज़ के इस पवित्र अनुष्ठान में आया हूं. मैं बाबा के इस विचार के प्रति, उनकी तपस्या के प्रति नमन करता हूं. माउंट आबू सदियों से आत्म चिंतन और आध्यात्मिक शिक्षा का पावन स्थान रहा है. यहां ऋषि-मुनि और साधकों ने गहराई से साधना करके सिद्धी प्राप्त की है.
जालोर-सिरोही सांसद लुम्बाराम चौधरी ने कहा कि मैं लोकसभा क्षेत्र की समस्त जनता जर्नादन की ओर से आप सभी शिक्षाविदाें का सम्मान- स्वागत करता हूं.
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने कहा कि राजयोग शिक्षा को अपनाकर आज लाखों लोगों का जीवन पूरी तरह बदल गया है. राजयोग के अभ्यास से मन शक्तिशाली बन जाता है.
अतिरिक्त महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम से जिससे समाज और देश में बदलाव आएगा. विद्यार्थियों को मूल्य शिक्षा से जोड़ने के लिए शिक्षा प्रभाग द्वारा मूल्य शिक्षा की शुुरुआत की गई है.
उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय एवं प्रौद्योगिकी कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक कि अध्यात्म से ही व्यक्ति का संपूर्ण विकास होता है. आज यह सभी के लिए बहुत जरूरी है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति श्रीनिवास वाराखेड़ी ने कहा कि मू्ल्य शिक्षा के बिना भौतिक शिक्षा अधूरी है.
इस दौरान शिक्षा मंत्री ने पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी को पुष्पांजलि अर्पित कर उनके कार्यों को याद किया. उन्होंने कहा कि आज मैं तपस्या और सेवा की धरती पर खड़ा हूं ऐसी तपस्वी दादी हम सबके लिए प्रेरणा की स्त्रोत हैं. मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने स्वागत गीत की प्रस्तुति दी. अतिथियाें का इलायची माला, शॉल, बैज, पगड़ी और स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया गया. हैदराबाद की बीके अंजलि ने स्वागत भाषण दिया. मूल्य शिक्षा कार्यक्रम के निदेशक डॉ. बी.के. पंडियामणि, मूल्य शिक्षा की अतिरिक्त निदेशक बीके लीना मूल्य शिक्षा के बारे में बताया. प्रभाग की उपाध्यक्ष बीके शीलू दीदी,
कार्यकारी सदस्य बी.के. सुप्रिया ने भी संबोधन दिया. संचालन राष्ट्रीय संयोजिका बीके सुमन दीदी ने किया.
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/ रोहित
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