नई दिल्ली, 23 मई . क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के छात्रों के साथ मिलकर शुक्रवार को डीयू कुलपति कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने एसओएल और एनसीवेब के छात्रों के साथ भेदभाव का भी आरोप लगाया.
केवाईएस संगठन ने कार्यकारी परिषद की मीटिंग में प्रस्तुत एसओएल के खराब स्टडी मटेरियल, चौथे वर्ष के छात्रों को ‘ऑनर्स विद रिसर्च’ की डिग्री से वंचित करने के प्रस्ताव को भी वापस लिये जाने और एसओएल के व्यापक व निष्पक्ष अकादमिक और प्रशासनिक ऑडिट की मांग की.
केवाईएस द्वारा उठाया गया सबसे मुख्य मुद्दा एसओएल द्वारा तैयार खराब स्टडी मटेरियल था. जिसे आज ईसी मीटिंग में पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्टडी मटेरियल में व्याकरण संबंधी बहुत सारी गलतियां है. भाषा के खराब उपयोग के उदाहरण, तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी और खुलेआम दूसरे स्रोतों से चोरी आदि शामिल हैं. यह उस स्टडी मटेरियल की स्थिति है जिसकी तथाकथित रूप से समीक्षा की गई है.
केवाईएस ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा बीए (प्रोग्राम), बीएससी (प्रोग्राम) और बीकॉम (प्रोग्राम) जैसे ‘प्रोग्राम कोर्स’ को ‘ऑनर्स विद रिसर्च’ की डिग्री न दिए जाने को लेकर भी विरोध किया गया. स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग और एनसीवेब में पढ़ने वाले छात्रों की बड़ी संख्या चौथे वर्ष में जाना चाहते हैं. स्नातक कोर्स के चौथे वर्ष में तीन विकल्पों की व्यवस्था की गई थी. जिसमें डिसर्टैशन, अकादमिक प्रोजेक्ट और एन्ट्रप्रेनर्शिप शामिल थे. लेकिन अब विश्वविद्यालय की ओर से यह प्रस्तावित किया गया है कि बीए (प्रोग्राम), बीएससी (प्रोग्राम) और बीकॉम (प्रोग्राम) के छात्रों को तीसरे साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक साधारण डिग्री और चौथे वर्ष की पढ़ाई के बाद ऑनर्स की डिग्री ही मिलेगी. लेकिन इन छात्रों को चौथे वर्ष के बाद ‘ऑनर्स विद रिसर्च’ की डिग्री दी ही नहीं जाएगी.
केवाईएस ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का यह प्रस्ताव प्रोग्राम कोर्स के लाखों छात्रों जिनका बहुसंख्यक हिस्सा एसओएल और एनसीवेब में पढ़ता है. उनके साथ भेदभाव करता है और उनकी डिग्री को भी कमजोर करता है. ऐसे में स्नातक कोर्स के चौथे साल की जो व्यवस्था और विकल्प विश्वविद्यालय द्वारा दिया जा रहा है. वह बहुसंख्यक छात्रों को उपलब्ध ही नहीं होगा. यह यूजीसीएफ 2022 के तहत विकल्पों के लचीलेपन के उलट छात्रों पर विकल्प थोपने का काम है.
उन्होंने आरोप लगाया कि एसओएल छात्रों को डीयू नॉर्थ कैम्पस के सत्यकाम भवन की बेसमेंट पार्किंग में बिठाकर परीक्षा देने को मजबूर किया गया. भीषण गर्मी में बिना पंखों के और निर्माण स्थल जैसी खतरनाक जगह पर छात्रों को परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया. उन्होंने कहा कि यह प्रशासन की आपराधिक लापरवाही को दर्शाता है. साथ ही यह छात्रों के साथ खुलेआम हो रहे शैक्षिक रंगभेद को भी दर्शाता है.
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/ माधवी त्रिपाठी
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