देवर ने बताया ‘बांग्लादेशी’, भाई ने कहा – ‘सब झूठ’
कोलकाता, 26 अप्रैल . जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों की गोलीबारी में मारे गए बितन अधिकारी की पत्नी सोहिनी अधिकारी को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. घटना के कुछ ही दिन बाद उनके देवर विभु अधिकारी ने सोहिनी पर ‘बांग्लादेशी नागरिक’ होने और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत में रहने का गंभीर आरोप लगाया है. वहीं, सोहिनी के भाई ने इन सभी आरोपों को ‘पूर्णतः झूठा और बेबुनियाद’ बताया है.
तीन दिन पहले ही तीन साल के बेटे हृदान के साथ सोहिनी, प्रशासन की मदद से कोलकाता लौटी थीं. राज्य सरकार के मंत्री और विधायक जहां उनके स्वागत को पहुंचे, वहीं विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी भी मौके पर उपस्थित थे. उन्होंने दावा किया कि सोहिनी ने उनसे कहा कि ‘हिंदू होने की वजह से उनके पति को मारा गया’ और उन्होंने ‘शुभेंदु के भरोसे ही वापसी की है.’
अगले दिन शुभेंदु अधिकारी और भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल ने पाटुली स्थित सोहिनी के घर जाकर उनसे लगभग आधे घंटे बात की. हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि बातचीत की बातें सार्वजनिक नहीं की जाएंगी, लेकिन वे सोहिनी के साथ खड़े हैं.
इसी बीच इंटरनेट पर मृतक बिधान के नाम से चल रही ‘क्राउड फंडिंग’ मुहिम को लेकर भी विवाद शुरू हो गया, जिसमें लाभार्थी के रूप में सोहिनी का नाम जुड़ने पर परिवार में असंतोष पनप गया. बितन के बड़े भाई और पेशे से वकील विभु अधिकारी ने दावा किया कि सोहिनी ‘इस देश की नागरिक ही नहीं हैं’, बल्कि उन्होंने दो जन्म प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल कर ‘फर्जी तरीके से’ दस्तावेज बनाए हैं. उन्होंने सोहिनी को ‘अंतरराष्ट्रीय जालसाज’ तक कह डाला.
विभु के अनुसार, दो वर्ष पहले सोहिनी और उनकी मां भारती राय के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज हुआ था, जो अब भी अदालत में लंबित है. उनका दावा है कि सोहिनी की मां अब बांग्लादेश लौट चुकी हैं, जबकि सोहिनी अवैध रूप से भारत में रह रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सोहिनी का पासपोर्ट जनवरी 2023 में ही समाप्त हो चुका है और वह अब तक भारत में रह रही हैं.
विभु का यह भी कहना है कि पाटुली में जहां सोहिनी और उनका बेटा रहते हैं, वह घर भी ‘फर्जी दस्तावेजों’ के आधार पर खरीदा गया था, जो बाद में सोहिनी की मां ने उन्हें उपहार में दे दिया.
जब सोहिनी से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो फोन पर एक पुरुष ने खुद को उनका भाई बताते हुए कहा कि सोहिनी इस समय मानसिक और शारीरिक रूप से इतनी कमजोर हैं कि बात करने की स्थिति में नहीं हैं. घर जाकर संवाददाता को भी दरवाजे के पीछे से हाथ जोड़कर यही कहा गया कि ‘अब कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं.’
बितन के परिवार का यह भी कहना है कि यदि सरकार की ओर से कोई मुआवजा दिया जाता है, तो वह सोहिनी को नहीं, बल्कि मृतक के माता-पिता को मिलना चाहिए, क्योंकि ‘सोहिनी भारत में रहने की हकदार ही नहीं हैं.’
/ ओम पराशर
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