बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना (वीटीआर) में बाघों की बढ़ती संख्या और उनके बीच होने वाली लड़ाइयों को देखते हुए अब विशेष बाघ सुरक्षा बल (एसटीपीएफ) का गठन किया जाएगा। वीटीआर प्रशासन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है और जल्द ही बल की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस कदम से न सिर्फ बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि वन क्षेत्र में सक्रिय शिकारियों की गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगेगा।
आपसी वर्चस्व के चलते बाघों की मौतों में इजाफा
पिछले एक महीने में वीटीआर के हरनाटाड़ और भिखनाठोरी इलाके में वर्चस्व की लड़ाई में एक बाघ और एक बाघिन की मौत हो चुकी है। यह स्थिति वन्यजीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय बन गई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी.के. गुप्ता ने वाल्मीकि नगर के दौरे के दौरान इन घटनाओं पर चिंता जताई और एसटीपीएफ के गठन को जरूरी बताया।
3 प्लाटून में 90 जवान शामिल होंगे
वीटीआर निदेशक सह संरक्षक नेशामणि के अनुसार एसटीपीएफ के तहत तीन प्लाटून बनाई जाएंगी। प्रत्येक प्लाटून में 30 विशेष प्रशिक्षित जवान होंगे, जो बाघ, शावक व अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। इन जवानों को जिला पुलिस की मदद से तैनात किया जाएगा। प्लाटून के संचालन की जिम्मेदारी प्रति प्लाटून 6 वनपालों को सौंपी जाएगी, यानी कुल 18 वनपाल इसकी निगरानी करेंगे।
महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश में दी जाएगी ट्रेनिंग
एसटीपीएफ के जवानों को विशेष ट्रेनिंग के लिए मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र भेजा जाएगा, जहां पहले से ही ऐसे बल प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं। जवानों को बाघों के आवास की सुरक्षा, शिकारियों की पहचान कर उन पर नियंत्रण और आपातकालीन स्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। पूरी प्रक्रिया की निगरानी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) करेगा।
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