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रात के सन्नाटे में आमेर किला बन जाता है डर का अड्डा, डॉक्यूमेंट्री में जानिए वहाँ से आने वाली रहस्यमयी आवाज़ों की कहानी

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जयपुर के ऐतिहासिक और खूबसूरत आमेर किले को देखने हर साल लाखों सैलानी आते हैं। यह किला न सिर्फ अपनी भव्य वास्तुकला, राजपूताना शौर्य और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह रहस्यमय और डरावनी कहानियों का केंद्र भी बनता जा रहा है।कहते हैं कि जैसे ही सूरज ढलता है, आमेर किले की फिज़ा में अजीब सा सन्नाटा और रहस्यमयी डर समा जाता है। रात के समय कई लोगों ने यहाँ अजीब-अजीब आवाजें, चीख-पुकार, कदमों की आहट, और अनजान परछाइयों के होने का दावा किया है।


आमेर किला: इतिहास से लेकर रहस्य तक

आमेर किले का निर्माण 1592 में राजा मान सिंह प्रथम ने करवाया था। यह किला जयपुर से करीब 11 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। यह एक शाही महल रहा है जहाँ शासकों ने कई पीढ़ियों तक शासन किया। इसके अंदर शीश महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास और सैकड़ों कमरे हैं।इतिहासकार बताते हैं कि इस किले में कई ऐसी घटनाएँ घटी हैं जो बेहद दर्दनाक और रहस्यमयी थीं – जैसे रानियों की आत्महत्या, सेविकाओं की बली, युद्धों में हार के बाद आत्मदाह आदि। शायद यही वो घटनाएँ हैं, जिनका असर आज भी इस किले की दीवारों में महसूस होता है।

रात होते ही बदल जाता है आमेर का माहौल
दिन में यह किला पर्यटकों से गुलजार रहता है – लोग इसके भव्य कंगूरों, दरबारों और नक्काशी की तारीफ करते नहीं थकते। लेकिन रात होते ही जैसे किले की आत्मा बदल जाती है।
स्थानीय गाइड और कुछ सुरक्षाकर्मियों के अनुसार, रात में कई बार उन्हें सुनाई देती हैं:
दीवारों के पीछे से आती स्त्री की चीखें


सीढ़ियों पर किसी के चलने की कदमों की आवाज़
बंद कमरों में सिरसराहट

और कई बार महसूस होता है जैसे कोई पीछे खड़ा हो
कुछ गार्ड्स ने तो यह तक दावा किया है कि उन्हें कई बार सफेद साड़ी में लिपटी एक महिला की परछाई दिखी, जो अचानक हवा में गायब हो जाती है।

भूतिया कहानियाँ और लोककथाएँ
आमेर किले के साथ जुड़ी सबसे चर्चित कहानी एक राजकुमारी की है जो अपने प्रेमी की मृत्यु के बाद किले के एक ऊपरी कक्ष से कूद गई थी। कहते हैं कि आज भी उसकी आत्मा यहाँ भटकती है और प्रेम में मिला धोखा उसे चैन नहीं लेने देता।एक अन्य लोककथा के अनुसार, महल के तहखाने में एक रानी को ज़िंदा दफना दिया गया था काले जादू के संदेह में। उस रानी की आत्मा आज भी वहाँ शांति नहीं पाई है और उसकी सिसकियाँ कभी-कभी सुनी जाती हैं।

रात में क्यों बंद कर दिया जाता है आमेर किला?
सरकारी तौर पर आमेर किला पर्यटकों के लिए शाम 5 बजे के बाद बंद कर दिया जाता है। इस फैसले के पीछे ‘रख-रखाव और सुरक्षा’ की वजह बताई जाती है, लेकिन स्थानीय लोग मानते हैं कि इसकी असली वजह रात के समय होने वाली अजीब घटनाएँ हैं।कुछ असली घटनाएँ भी सामने आ चुकी हैं जहाँ रात में चुपके से घुसे युवकों ने किले से निकलने के बाद मानसिक अस्थिरता, डरावने सपने और आत्मा की छाया का अनुभव किया।

सच क्या है? विज्ञान क्या कहता है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो पुरानी इमारतों में गूंज की वजह से आवाज़ें विचित्र लग सकती हैं। तापमान में बदलाव, दीवारों के फैलने-सिकुड़ने की ध्वनियाँ, या मस्तिष्क की कल्पनात्मक प्रतिक्रियाएँ – यह सब मिलकर डर पैदा कर सकते हैं।हालांकि, जब ये अनुभव कई लोग एक जैसी डिटेल्स के साथ बयान करते हैं, तो मन संशय में आ जाता है – क्या वाकई कुछ अलौकिक है?

आमेर किला: डर और रोमांच के लिए बना आकर्षण
इन रहस्यमयी घटनाओं ने आमेर किले को हॉरर टूरिज्म का भी केंद्र बना दिया है। कई यूट्यूब चैनल, डॉक्यूमेंट्रीज़, और वेब सीरीज ने इस पर एपिसोड बनाए हैं। पर्यटकों के बीच इसकी "भूतिया पहचान" अब किले की ऐतिहासिक पहचान के साथ जुड़ चुकी है।

क्या करना चाहिए अगर आप जाएं आमेर किला?
अगर आप आमेर किले जाएं:
दिन में पूरा घूमने का आनंद लें
गाइड से इसके इतिहास और रहस्यों को जानें
शाम होते-होते किले से बाहर आ जाएं
और अगर आपमें हिम्मत है, तो खुद उस सन्नाटे को महसूस करने की कोशिश करें

निष्कर्ष: किला, डर और विश्वास
आमेर किला एक ऐतिहासिक धरोहर है, पर इसके भीतर छिपे रहस्य और डर इसे और भी खास बनाते हैं। यह सिर्फ पत्थरों की दीवार नहीं, बल्कि उन सैकड़ों आत्माओं की गवाह है जिनकी कहानियाँ इतिहास की किताबों में नहीं, बल्कि रात की खामोशी में दर्ज हैं।शायद सच यही है – हर किले की दीवारें सिर्फ ईंट और पत्थर से नहीं, बल्कि अनकही कहानियों से भी बनी होती हैं।

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