लाइव हिंदी खबर :- हिंदू धर्म में चंद्रमा की कलाओं को विशेष महत्व दिया जाता है। पूर्णमासी और अमावस्या का भी खास स्थान है। जहां पूर्णमासी को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, वहीं अमावस्या नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। लेकिन इन दोनों के प्रभाव दिन के अनुसार भिन्न होते हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जब चंद्रमा गायब होता है, उसे अमावस्या कहा जाता है। इसे अमावस भी कहा जाता है। अमावस्या की रात चाँद दिखाई नहीं देता, जिससे चारों ओर अंधेरा छा जाता है। यह पखवाड़ा कृष्ण पक्ष कहलाता है। शास्त्रों में अमावस्या के दिन पूजा-पाठ का विशेष महत्व बताया गया है।
यह भी माना जाता है कि अमावस्या के दिन श्राद्ध की रस्में पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए की जाती हैं। भगवान आशुतोष मोक्ष के दाता माने जाते हैं। यदि अमावस्या सोमवार को आती है और उस दिन पितृ तर्पण किया जाता है, तो भगवान आशुतोष उस व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्त कर देते हैं।
चैत्र अमावस्या पर क्या करें?
चैत्र अमावस्या : क्या करें?
इस दिन व्रत रखकर कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं। यह मान्यता है कि पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखना चाहिए। चैत्र अमावस्या पर किए जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं:
: इस दिन नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
: पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब को दान दें।
: इस दिन यथाशक्ति अन्न, गौ, स्वर्ण और वस्त्र का दान करें।
: पितरों के श्राद्ध के बाद किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
: अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और शनि देव को नीले पुष्प, काले तिल और सरसों का तेल चढ़ाएं।
अगली सोमवती अमावस्या
संवत 2078 को छोड़ संवत 2079 पड़ेगी अगली सोमवती अमावस्या…
ज्योतिषियों के अनुसार, संवत 2078 का आरंभ 13 अप्रैल 2021 से होगा। इस संवत में कोई सोमवती अमावस्या नहीं है। अगली सोमवती अमावस्या संवत 2079 में आएगी, जो 30 मई 2022 को भाद्रपद मास में होगी।
पितृ को प्रसन्न करने के उपाय
पितृ को इस सोमवती अमावस्या पर करें प्रसन्न
इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। पितरों की शांति के लिए किसी तीर्थ में जाकर दूध काले तिल से पितृ तर्पण करें, साथ ही ब्राह्मण दंपति को भोजन कराएं। वस्त्र, अन्न, धन आदि का दान करें। इससे पितृ शीघ्र प्रसन्न होंगे।
मान्यता है कि इस दिन पीपल की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। पीपल की पूजा के बाद गरीबों को दान अवश्य दें। यदि कोई नदी या सरोवर निकट हो, तो वहां जाकर भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी जी की पूजा करें। सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करना, ओंकार का जप करना और सूर्य नारायण को अर्घ्य देना अत्यंत फलदायी है।
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