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भारत-पाक संघर्ष विराम: क्या यह सही निर्णय था या एक बड़ी गलती?

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भारत-पाक युद्ध: संघर्ष विराम पर विवाद

भारत-पाक युद्ध: भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा के बाद, प्रमुख भू-रणनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने इसे एक गंभीर गलती करार दिया। उनका कहना है कि भारत ने जीत के करीब पहुंचकर हार को गले लगाया, जबकि वह सैन्य दृष्टि से मजबूत स्थिति में था। अचानक संघर्ष विराम की घोषणा ने चेलानी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि भारत ने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है, और यही कारण है कि वह बार-बार अपनी रणनीतिक गलतियों को दोहराता है।


संघर्ष विराम का निर्णय क्यों लिया गया?

शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक संघर्ष विराम की घोषणा ने सभी को चौंका दिया। पाकिस्तान की सेनाएं भारत की सीमा के निकट पहुंच चुकी थीं और तनाव अपने चरम पर था। लेकिन कुछ घंटों में ही स्थिति बदल गई और शांति स्थापित हो गई। चेलानी ने इस निर्णय को भारत के लिए निराशाजनक बताया और इसे इतिहास से कुछ नहीं सीखने का परिणाम माना।


चेलानी ने कहा, 'भारत ने सैन्य गतिविधियों में बढ़त हासिल की थी। पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा कमजोर साबित हुई थी और भारत के ड्रोन और मिसाइलों ने अपने लक्ष्य भेदे थे, फिर भी भारत ने संघर्ष विराम की घोषणा कर दी।' उन्होंने यह भी कहा कि इस निर्णय ने 'भारत की दीर्घकालिक राजनीतिक स्थिति को रेखांकित किया है' और यह एक दोहराने वाला पैटर्न बन चुका है।


भारत की रणनीतिक गलतियों की पुनरावृत्ति

चेलानी ने भारत के पूर्व के रणनीतिक फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि 1972 में भारत ने पाकिस्तान से कुछ भी हासिल किए बिना अपनी युद्ध उपलब्धियों को छोड़ दिया था। 2021 में भारत ने कैलाश की ऊंचाइयों को खाली कर दिया और अब ऑपरेशन सिंदूर को समाप्त कर दिया, जबकि पाकिस्तान ने दिल्ली पर मिसाइलें दागी थीं। उनका मानना था कि भारत ने अपनी सैन्य या कूटनीतिक क्षमता का पूरा लाभ उठाए बिना ही उसे छोड़ दिया।


उन्होंने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर में महिलाओं द्वारा 26 पतियों की हत्या का बदला लिया गया था, लेकिन इसे अचानक खत्म कर दिया गया, जिससे कई सवाल उठते हैं।' उनका मानना था कि भारत के इस निर्णय को भविष्य में इतिहास अच्छी तरह से नहीं देखेगा और यह रणनीतिक चूक के रूप में सामने आएगा।


संघर्ष विराम का आश्चर्यजनक फैसला

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पुष्टि की कि पाकिस्तान ने भारत से संपर्क किया और दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनी। 29 अप्रैल को, पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन किया और दोपहर 3:30 बजे दोनों देशों ने तय किया कि शाम 5 बजे से सभी प्रकार की सैन्य गतिविधियां रोक दी जाएंगी।


यह संघर्ष विराम एक बड़ी चौंकाने वाली घोषणा थी, क्योंकि सुबह तक भारत में चिंता व्यक्त की जा रही थी कि पाकिस्तान अपने सैनिकों को सीमा पर भेजेगा और युद्ध की स्थिति बन सकती है।


क्या भारत ने सही फैसला लिया?

भारत की रणनीति को लेकर सवाल उठते हैं कि क्या संघर्ष विराम लेना सही था या अगर भारत ने अपनी सैन्य बढ़त को और बढ़ाया होता तो क्या वह अधिक दीर्घकालिक लाभ प्राप्त कर सकता था। ब्रह्मा चेलानी का कहना है कि भारत ने 'जीत के मुंह से हार छीन ली' और यह स्थिति भविष्य में कई सवालों का कारण बनेगी।


क्या यह रणनीति भारत के लिए सही थी या फिर यह फिर से एक गलती साबित होगी? इस सवाल का जवाब शायद आने वाले समय में ही मिलेगा, लेकिन फिलहाल यह मुद्दा चर्चा में है।


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