दो दशक के बाद भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। अमेरिकी ऊर्जा विभाग (डीओई) ने इस सौदे को हरी झंडी दे दी है। एक अमेरिकी कंपनी को भारत में परमाणु रिएक्टर के निर्माण और डिजाइन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डीओई ने 26 मार्च को इसे मंजूरी दे दी। होलटेक इंटरनेशनल कंपनी को भारत में परमाणु रिएक्टर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर
₹1,710,779,000,000 की कुल संपत्ति वाला बिहार का एक व्यक्ति अब पूरे भारत को अपनी रोशनी से रोशन करेगा। डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। इस समझौते के तहत होलटेक इंटरनेशनल को भारत में परमाणु रिएक्टर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अध्यक्ष के.पी. सिंह बिहार के निवासी हैं। इसका मतलब यह है कि भारत में बनने वाला कोई भी परमाणु रिएक्टर इसी कंपनी द्वारा बनाया जाएगा। इस अमेरिकी समझौते को 10CFR810 भी कहा जाता है। होलटेक को परमाणु रिएक्टर बनाने के अधिकार हस्तांतरित करने का भी अधिकार है। इसमें भारत की तीन कंपनियां शामिल हैं। होलटेक एशिया, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड और लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड को छोटे परमाणु रिएक्टर बनाने का अधिकार दिया जा सकता है। आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि होलटेक इंटरनेशनल के प्रमुख भारतीय मूल के केपी सिंह हैं। भारत में शिक्षित केपी सिंह की कंपनी को भारत में परमाणु रिएक्टर बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मूल भारतीय. के.पी. सिंह
कृष्णा.पी. सिंह एक भारतीय-अमेरिकी उद्यमी हैं। इंजीनियर हैं और होलटेक इंटरनेशनल के संस्थापक, अध्यक्ष और सीईओ हैं। वह एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और आविष्कारक हैं। उन्होंने परमाणु ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बनाई है। कृष्णा पी. सिंह मूल रूप से बिहार के बड़हिया के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई है। 2024 के आंकड़ों के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 20 बिलियन डॉलर है।
के.पी. सिंह की शिक्षा
केपी सिंह ने बीआईटी सिंदरी, रांची विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.एस. की डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद, वह उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए और 1969 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग मैकेनिक्स में एमएस और 1972 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी पूरी की। सिंह ने 1974 में मार्था जे. से विवाह किया।
होलटेक की नींव फिर रखी गई
शादी के 12 साल बाद, 1986 में, उन्होंने माउंट लॉरेल, न्यू जर्सी में होलटेक इंटरनेशनल की स्थापना की। आज यह कंपनी परमाणु और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक जानी-मानी कंपनी है। प्रारंभ में, कंपनी परमाणु रिएक्टरों के लिए पुर्जे, प्रयुक्त परमाणु ईंधन के प्रबंधन के लिए उपकरण, तथा शुष्क पीपा भंडारण कंटेनर बनाती थी। धीरे-धीरे होलटेक ने अपने पंख फैलाने शुरू कर दिये। अब यह विश्व भर में 140 से अधिक परमाणु संयंत्रों और उनके लिए उपकरण की आपूर्ति करता है। कंपनी के परिचालन केंद्र न्यू जर्सी, फ्लोरिडा, ओहियो और पेंसिल्वेनिया में हैं। इसका वैश्विक कारोबार ब्राजील, भारत, जापान, मैक्सिको, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, यूके और यूक्रेन तक फैला हुआ है। आपको बता दें कि होलटेक ने एसएमआर-160 और एसएमआर-300 जैसी छोटी मॉड्यूलर रिएक्टर तकनीक में भी निवेश किया है। जिसे सुरक्षित और सस्ती परमाणु ऊर्जा का भविष्य माना जाता है।
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