किसी से लोन लेना हो या फिर किसी अपने के लोन की गारंटी देना, दोनों ही बहुत बड़ी आर्थिक ज़िम्मेदारियाँ हैं। अक्सर हम दोस्ती-यारी या रिश्तेदारी निभाने के चक्कर में बिना गहराई से सोचे-समझे किसी के लोन के गारंटर बन जाते हैं। लेकिन तब क्या होता है, जब लोन लेने वाला यानी आपका दोस्त या रिश्तेदार, समय पर लोन की किस्तें नहीं चुका पाता?
ऐसी सूरत में, बैंक उस व्यक्ति को ‘डिफॉल्टर’ घोषित कर देता है। अब मुश्किल यहाँ से शुरू होती है गारंटर के लिए। क्योंकि लोन चुकाने की ज़िम्मेदारी अब गारंटर के कंधों पर आ जाती है, जिससे उसे गंभीर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, किसी की गारंटी लेने से पहले सौ बार सोचना और इसके पीछे छिपे जोखिमों को समझना बेहद ज़रूरी है।
जब कोई लोन नहीं चुका पाता, तो क्या होता है?
अगर बैंक किसी को लोन न चुका पाने की वजह से ‘लोन डिफॉल्टर’ घोषित कर दे, तो इसका सीधा असर उसके क्रेडिट स्कोर (Credit Score) पर पड़ता है। क्रेडिट स्कोर एक तरह से आपकी आर्थिक साख का आईना होता है। इसके खराब होने पर भविष्य में उस व्यक्ति को किसी भी बैंक या वित्तीय संस्था से दोबारा लोन मिलना लगभग नामुमकिन हो जाता है। यही नहीं, अगर लोन लेते समय कोई प्रॉपर्टी वगैरह गिरवी रखी गई थी, तो बैंक उसे ज़ब्त करके भी अपना पैसा वसूल सकता है।
गारंटर पर कैसे पड़ता है असर?
लोन न चुकाए जाने की स्थिति में सिर्फ लोन लेने वाले पर ही नहीं, बल्कि गारंटर पर भी बहुत बड़ा असर पड़ता है। जैसे ही लोन लेने वाला डिफॉल्ट करता है, बैंक फौरन गारंटर से संपर्क साधता है और उसे नोटिस भेजता है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोन देते वक्त बैंक और गारंटर के बीच एक लिखित समझौता (Agreement) होता है।
इस समझौते में साफ-साफ लिखा होता है कि अगर लोन लेने वाला व्यक्ति समय पर लोन नहीं चुकाएगा, तो गारंटर को लोन की बाकी बची पूरी रकम, ब्याज के साथ, चुकानी होगी। बैंक के पास कानूनी तौर पर यह पूरा अधिकार होता है कि वह गारंटर से लोन की वसूली करे।
गारंटर बनने का सोच रहे हैं? इन बातों का रखें खास ख्याल
अगर आप किसी के लोन गारंटर बनने का मन बना रहे हैं, तो कुछ ज़रूरी बातों पर ज़रूर गौर करें:
क्या आप उस व्यक्ति को अच्छी तरह जानते हैं?: सिर्फ जान-पहचान होना काफी नहीं है। जिस व्यक्ति की आप गारंटी ले रहे हैं, उसकी नीयत और आदतों को समझना ज़रूरी है।
उसकी आर्थिक स्थिति कैसी है?: क्या वह वाकई लोन चुकाने की स्थिति में है? उसकी कमाई, खर्चे और बचत की आदतों के बारे में जानकारी जुटाएं।
क्या पहले कभी डिफॉल्ट किया है?: पता करें कि क्या उस व्यक्ति ने पहले कभी कोई लोन लिया था और उसे चुकाने में कोई कोताही तो नहीं बरती थी।
पूरी जांच-पड़ताल करें: किसी के कहने या दबाव में आकर फैसला न लें। अच्छी तरह सोच-समझकर और पूरी जानकारी हासिल करने के बाद ही गारंटी देने का निर्णय करें, ताकि भविष्य में आपको किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
याद रखें, गारंटर बनना सिर्फ एक हस्ताक्षर करना नहीं, बल्कि एक बड़ी वित्तीय ज़िम्मेदारी लेना है।
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