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राम मंदिर-बाबरी मस्जिद समाधान के लिए भगवान से की थी प्रार्थना...सीजेआई चंद्रचूड़ का बड़ा खुलासा

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मुंबई: भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का हल ढूंढने के लिए उन्होंने खुद भगवान से मदद मांगी थी। यह मामला जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ में सुनवाई के लिए आया था, जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़ भी शामिल थे। यह खुलासा उन्होंने पुणे के अपने पैतृक गांव कानेसर में एक कार्यक्रम के दौरान किया। उन्होंने कहा कि अक्सर हमारे पास मामले (निर्णय के लिए) आते हैं, लेकिन हम समाधान पर नहीं पहुंच पाते। अयोध्या (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जो तीन महीने तक मेरे सामने था। मैं ईश्वर के सामने बैठा और उनसे कहा कि उन्हें इसका समाधान ढूंढना होगा। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि मेरा विश्वास करें, यदि आपको भरोसा है, तो ईश्वर हमेशा कोई रास्ता निकाल देंगे। देश के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने नौ नवंबर, 2019 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करके उस विवादास्पद मुद्दे का निपटारा किया था जो एक सदी से भी अधिक पुराना था। पीठ ने यह भी फैसला दिया था कि अयोध्या में ही वैकल्पिक पांच एकड़ के भूखंड पर मस्जिद बनाई जाएगी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा थे। प्रधान न्यायाधीश इस वर्ष जुलाई में अयोध्या में राम मंदिर गये थे और पूजा-अर्चना की थी। राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह इस वर्ष 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में आयोजित हुआ था। पीएम मोदी को किया था आमंत्रितहाल ही में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने घर पर गणेश पूजा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया था। विपक्षी दलों ने इस पर आलोचना की थी। उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट ने जस्टिस चंद्रचूड़ से शिवसेना विभाजन मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने के लिए कहा था। इस कार्यक्रम के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने महिला अधिकारियों के स्थायी कमीशन पर अपने फैसले के बारे में भी बताया। जस्टिस चंद्रचूड़ का यह बयान चर्चा का विषय बन गयाउन्होंने कहा कि आज हमारी सेना में महिलाएं भारत-पाकिस्तान और चीन के बीच सीमा पर तैनात हैं। इसी तरह वायु सेना में हमारे पास महिला फाइटर पायलट हैं, यहां तक कि नौसेना में भी हमारी महिलाओं ने पनडुब्बियों और युद्धपोतों में काम किया है। देश बदल रहा है और बहुत सारे अवसर हैं जिन्हें हमें स्वीकार करना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ का यह बयान चर्चा का विषय बन गया है। उनके इस बयान से साफ है कि वह भी इस मामले की गंभीरता को समझते थे और इसका हल निकालने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे थे।
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