सतना: जिले में किसानों के सामने खाद को लेकर समस्या खड़ी हो गई है। यहां डीएपी खाद न मिलने से किसान खाद केंद्र के बाहर चक्कर लगाने के लिए मजबूर हैं। किसान खाद केंद्र में आते हैं और खाद न मिलने पर मायूस होकर वापस घर को लौट जाते हैं। किसानों का आरोप है कि जिस खाद की किसानों को जरूरत है, वह खाद सरकार नहीं भेज रही है। सरकार की इस नई खाद पर किसान को भरोसा नहीं है। किसानों को फसल की चिंतादरअसल मामला सतना जिले के सिविल लाइन कोठी रोड स्थित मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपरण संघ मर्यादित खाद केंद्र का है। यहां किसानों को डीएपी खाद न मिलने से किसान परेशान हो रहे हैं। डीएपी खाद के लिए किसान सुबह से ही खाद केंद्र के चक्कर लगा रहे हैं और डीएपी खाद मिलने का इंतजार कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि हमें जिस डीएपी खाद की जरूरत है, वह खाद सरकार भेज नहीं रही है। खाद न मिलने से किसान भारी परेशान है। अगर समय से डीएपी नहीं मिलेगी तो किसान खेती कैसे करेगा। समय पर नहीं मिली खाद तो कैसे होगी उपज?वहीं किसानों का आरोप है कि बुवाई के समय पर हर साल खाद की किल्लत हो जाती है। किसानों ने कहा कि सरकार समय रहते खाद का स्टाक नहीं करती जिसके चलते किसानों को परेशानी उठानी पड़ती है। किसानों ने बताया कि किसान जिस डीएपी खाद की डिमांड कर रहे हैं, वो खाद यहां उपलब्ध नहीं है। हमें जरूरत के अनुसार डीएपी उपलब्ध करवाया जाए ताकि समय पर फसल की बुवाई कर सके। 15 दिनों से खाद के लिए हैं परेशानखरवाही गांव से आये किसान अंकुश कुमार साहू ने नवभारत टाइम्स.कॉम को जानकारी देते हुए बताया कि हम 15 दिन से डीएपी खाद के लिए लगातार परेशान है। डीएपी खाद न मिलने से खेत की बुवाई में देर हो रही है। चना, मसूर और राई का सीजन चल रहा है, अगर समय से डीएपी नहीं मिलेगी तो किसान कैसे बुआई करेगा। ये जो 20-20-013 और 16-16-16 नम्बर की डुप्लीकेट खाद आई है, ये किसानों को बेवकूफ बनाकर भिजवाई जा रही है। किसानों की डिमांड 18-46-0 की है, ये खाद नहीं आ रही है। अगर नहीं आएगी तो जो खाद आयी है, मजबूरी में उसी को लेकर जाएंगे। नई खाद पर हमें भरोसा नहीं!पतौरा वीरपुर निवासी सुखेन्द्र सिंह ने नवभारत टाइम्स.कॉम को जानकारी देते हुए बताया कि डीएपी के लिए हम आ रहे हैं। चार दिनों से डीएपी मिल नहीं रही है। एक नई खाद आयी है, उस पर हमें भरोसा नहीं है। इसलिए हम सरकार से 1846 डीएपी खाद की मांग कर रहे हैं। वहीं इस मामले में जब उपसंचालक कृषि मनोज कश्यप से बात कर करनी चाही तो इस मामले पर पल्ला झाड़ते हुए नजर आए। (रिपोर्ट- जयदेव विश्वकर्मा)
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