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अटैक करने से पहले 'मकड़ी' बन जाता है ये सांप, दुनिया में महज 30 बार देखा गया, साइंटिस्ट भी थे हैरान

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नई दिल्ली: एक ऐसा सांप, जो बेहद चालाकी और अजीब शक्ल-सूरत से अपने शिकार को चकमा देकर मौत की नींद सुला देता है। पश्चिमी ईरान और पूर्वी इराक के ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाकों में मिलने वाले इस सांप को ईरानी मकड़ी यानी पूंछ वाला हॉर्न्ड वाइपर कहा जाता है। इस सांप का अनोखा हथियार उसकी मकड़ी जैसी पूंछ है, जिसके जरिए ये पक्षियों को भ्रमित कर, उनपर बेहद चालाकी से अटैक करता है। आइए जानते हैं इस रहस्यमयी सांप की कहानी, जिसके बारे में पहली बार तो वैज्ञानिकों को कुछ समझ ही नहीं आया, लेकिन बाद में पता चला कि यह कुदरती तौर पर एक मास्टरमाइंड शिकारी है।इस सांप को आज तक शायद ही कोई इंसान करीब से देख पाया हो। इसे प्सूडोसेरास्टेस उराराच्नॉइड्स या ईरानी मकड़ी-पूंछ वाला वाइपर कहा जाता है। इसकी पूंछ मकड़ी जैसी दिखाई देती है, जो इसकी मुख्य पहचान है। इस सांप की पूंछ का सिरा काफी बड़ा और उलझा हुआ होता है, जो दिखने में मकड़ी जैसा लगता है और इस मकड़ीनुमा पूंछ के कारण यह सांप अपने शिकार को बड़ी चतुराई से फंसा लेता है।यह सांप खुद को चट्टानों के बीच छिपा लेता है, जहां से केवल उसकी मकड़ी जैसी पूंछ दिखाई देती है। उसकी पूंछ में छोटे-छोटे तंतुओं के गुच्छे होते हैं, जो एक मकड़ी के पैरों जैसे दिखते हैं। यह अपनी पूंछ को चट्टान पर इस तरह हिलाता है, जैसे कोई मकड़ी रेंग रही हो। जब भूखे पक्षी इस 'मकड़ी' को पकड़ने के लिए झपटते हैं, तो वे खुद शिकार बन जाते हैं। यह सांप तेजी से हमला करता है और अपने जहर से पक्षियों को मार देता है। पक्षियों को भ्रम में डालकर करता है अटैकइस सांप को पहली बार साल 1960 के दशक में ईरान के जग्रोस पहाड़ों में देखा गया था, लेकिन वैज्ञानिकों को शुरुआत में लगा कि शायद कोई गलतफहमी हुई है। वे इस सांप की पूंछ को विकृत या ट्यूमर से ग्रस्त मानते थे, लेकिन साल 2006 में जब इसपर गहराई से स्टडी की गई तो पता चला कि यह सांप अपने शिकार में बेहद माहिर है और उसकी पूंछ मकड़ी की तरह डेवलप हो चुकी है।मकड़ी जैसी पूंछ वाला यह वाइपर लंबे समय से पक्षियों को अपना मुख्य शिकार बनाता रहा है। इसकी पूंछ की संरचना, जिसकी वजह से यह मकड़ी जैसा दिखाई देता है, पक्षियों को भ्रमित करती है और यह उसी तरीके से डेवलप हुई है। यह शिकारी सांप अपने शिकार को फांसने के लिए खुद को वातावरण के हिसाब से ढाल लेता है। अन्य सांपों की तरह यह भी अपने शिकार को जहर से मारता है, जो तेजी से असर दिखाता है। केवल 30 बार देखा गया ये सांपइसके जहर का असर बेहद घातक होता है, जो पक्षियों की कोशिकाओं पर अटैक करता है और महज कुछ सेकंड में ही जान ले लेता है। हालांकि यह जहर पक्षियों पर असर दिखाता है, लेकिन अगर यह इंसानों पर इस्तेमाल हो तो परिणाम और घातक हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इस सांप के जहर पर स्टडी की और पाया कि इसका जहर खून का थक्का जमाने की क्षमता रखता है, जिससे इंटर्नल ब्लडिंग हो सकती है और व्यक्ति की जान जा सकती है। यह सांप अत्यधिक दुर्लभ है। अब तक इसे केवल 30 बार ही देखा गया है। यह ज्यादातर पश्चिमी ईरान और पूर्वी इराक के पहाड़ी इलाकों तक सीमित है। इस सांप के लिए पथरीली दरारें इसके छिपने और शिकार करने के लिए मुफीद ठिकाना हैं। गर्मी के मौसम में इन दरारों से सांप को छाया और नमी भी मिलती रहती है। वन्यजीव व्यापार की वजह से खत्म हो रही प्रजातिदुर्भाग्यवश, इस सांप के संरक्षण को लेकर पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। सांपों के ठिकानों पर हो रही मानव गतिविधियों और अवैध वन्यजीव व्यापार की वजह से सांपों की प्रजाति तेजी से घट रही है। हाल ही में जर्मनी में अवैध रूप से कुछ मकड़ी जैसी पूंछ वाले वाइपर की तस्करी होने के सबूत मिले थे। वहां ऐसे सांपों को पाला जा रहा था।वैज्ञानिक और संरक्षणवादी अब इस दुर्लभ सांप के लिए जागरूकता बढ़ाने और नए कदम उठाने पर जोर दे रहे हैं। मकड़ी-पूंछ वाला यह वाइपर प्रकृति के चमत्कारों में से एक है। यह सांप इस बात का भी एक उदाहरण है कि कैसे जीव-जंतु अपने अस्तित्व के लिए खुद को अलग तरीके से ढाल सकते हैं। इस सांप की दुर्लभता और खतरनाक जहर इसे एक रहस्यमयी शिकारी बनाता है।
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