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व्हाट्सऐप कॉल से बचते रहे पाक अधिकारी, सिरसा हमले से जुड़ा हो सकता है जासूसी कनेक्शन

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नूंह। पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार मोहम्मद तारिफ और अरमान के खिलाफ जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। शुरुआती जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान दूतावास में तैनात दो अधिकारियों—आसिफ बलौच और जाफर—ने भारतीय सिम कार्ड के जरिए व्हाट्सऐप कॉल कर इन जासूसों से संपर्क साधा, ताकि भारत की खुफिया एजेंसियों की निगरानी से बचा जा सके।

सूत्रों के अनुसार, दोनों पाकिस्तानी अधिकारी बार-बार व्हाट्सऐप कॉल और संदेश के जरिए संपर्क करते थे, जिससे बातचीत ट्रेस करना मुश्किल हो जाए। पुलिस अब मोहम्मद तारिफ के मोबाइल से डिलीट डाटा को रिकवर करने में जुटी है, जबकि अरमान से बरामद दो मोबाइल फोन की भी फॉरेंसिक जांच की जा रही है।

तारिफ की सूचना पर हुआ सिरसा एयरबेस पर मिसाइल हमला?


मिलिट्री इंटेलिजेंस को मिले इनपुट्स के अनुसार, एक वायरल वीडियो में तारिफ ने स्वीकार किया है कि उसने सिरसा एयरफोर्स स्टेशन की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंपी थी। गौरतलब है कि भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद पाकिस्तान ने सिरसा एयरबेस को निशाना बनाते हुए मिसाइल दागने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय वायुसेना की एयर डिफेंस प्रणाली ने समय रहते उसे मार गिराया।

इस घटनाक्रम के बाद मिलिट्री इंटेलिजेंस और एनआईए की टीमें भी जांच में शामिल हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि तारिफ और अरमान को हिरासत में लेकर इन एजेंसियों द्वारा अलग से पूछताछ की जा सकती है।

सिम कार्ड बेचने वाले की तलाश में पुलिस


जांच एजेंसियां अब उन दुकानदारों की तलाश में हैं, जिनसे इन आरोपियों ने भारतीय सिम कार्ड खरीदे थे। उनकी पहचान के बाद सभी रजिस्ट्रेशन और रिकॉर्ड्स खंगाले जा रहे हैं। इसका मकसद जासूसी नेटवर्क की पूरी श्रृंखला को उजागर करना है।

सोशल मीडिया कनेक्शन और ‘मिस्ट्री गर्ल’ की तलाश

सूत्रों के अनुसार, मोहम्मद तारिफ के सोशल मीडिया संपर्कों में एक महिला का नाम भी सामने आया है, जो उसके करीबी संपर्क में बताई जा रही है। जांच एजेंसियों की टीमें अब उस महिला की भूमिका और उससे जुड़े पहलुओं की जांच कर रही हैं। साथ ही आरोपियों के सभी डिजिटल माध्यमों की निगरानी की जा रही है।

पाकिस्तानी रिश्तेदारों से बना रहे दूरी

मेवात क्षेत्र में इन घटनाओं का असर सामाजिक स्तर पर भी देखने को मिल रहा है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद से स्थानीय लोग पाकिस्तान में बसे अपने रिश्तेदारों से संपर्क रखने से परहेज कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता रहेगा, तब तक वे वहां से किसी भी रिश्तेदारी को निभाना उचित नहीं मानते।

स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे थे आरोपी

पुलिस सूत्रों के अनुसार, अरमान और तारिफ लंबे समय से एक स्लीपर सेल के रूप में काम कर रहे थे। वायरल हुए एक वीडियो में तारिफ ने बताया कि उसे पाक दूतावास के अधिकारियों ने वीजा सुविधा के बहाने लोगों को पाकिस्तान भेजने के लिए तैयार किया था। इस बात की भी जांच हो रही है कि जिन लोगों को वीजा दिलाया गया, कहीं वे भी खुफिया जानकारी साझा करने वाले एजेंट तो नहीं हैं।

तारिफ, जो नूंह के कांगरका गांव में एक क्लीनिक चलाता था, कथित तौर पर झोलाछाप डॉक्टर है। वहीं, अरमान को राजाका गांव से गिरफ्तार किया गया था। दोनों से अलग-अलग दिन गिरफ्तारियां होने के बाद पुलिस ने तारिफ को सात दिन और अरमान को छह दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की है।

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