Next Story
Newszop

युद्ध के दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरनाक असर, जानें वॉर सिंड्रोम के बारे में

Send Push

युद्ध चाहे कितना भी छोटा या लंबा हो, इसका असर सामान्य लोगों के दिल और दिमाग पर गहरा प्रभाव डालता है। जब मिसाइलें दागी जाती हैं, गोलियां चलती हैं, और युद्ध के हालात बनते हैं, तो यह जंग सिर्फ सरहदों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इंसान की मानसिकता पर भी गहरे निशान छोड़ जाती है। युद्ध के दौरान कई लोग डर, तनाव और अनजानी आशंकाओं से घिर जाते हैं। इस मानसिक दबाव से एक खतरनाक स्थिति जन्म लेती है, जिसे "वॉर सिंड्रोम" कहा जाता है। यह सिंड्रोम व्यक्ति को अंदर से तोड़ देता है और उसकी मानसिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। आज हम इस सिंड्रोम के बारे में विस्तार से बात करेंगे, इसके लक्षणों, प्रभावों और इससे बचाव के उपायों को समझेंगे।

वॉर सिंड्रोम क्या है?

वॉर सिंड्रोम एक मानसिक विकार है, जो किसी भी बड़े ट्रॉमा या हादसे के बाद विकसित होता है। युद्ध जैसी स्थितियों में जब व्यक्ति को अपनी जान का खतरा महसूस होता है या वह अत्यधिक हिंसा का गवाह बनता है, तब उसका दिमाग इस तनाव को झेल नहीं पाता। यह मानसिक दबाव धीरे-धीरे अवसाद, बेचैनी, नींद की कमी, और डर के रूप में सामने आता है।



वॉर सिंड्रोम के लक्षण क्या होते हैं?

- वॉर सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार डरावने और हिंसक सपने आने लगते हैं।
- छोटी-छोटी बातों पर घबराहट महसूस होती है।
- ऐसे लोग किसी भी अचानक आवाज या घटना पर चौंक जाते हैं।
- अकेलापन और अवसाद महसूस होने लगता है।
- कभी-कभी हिंसक या आत्मघाती विचार भी आने लगते हैं।

कौन लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं?

वॉर सिंड्रोम का सबसे ज्यादा असर उन सैनिकों पर पड़ता है, जो सीधे युद्ध का हिस्सा रहे हों। इसके अलावा शरणार्थी, युद्ध क्षेत्र में रहने वाले सामान्य नागरिक और यहां तक कि बच्चे भी इस सिंड्रोम का शिकार हो सकते हैं। कई बार यह असर युद्ध समाप्त होने के कई सालों तक भी बना रहता है।

इससे निपटने के उपाय क्या हैं?

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बातचीत - मानसिक घावों का उपचार थेरेपी से किया जा सकता है।
परिवार और दोस्तों का साथ - इस मुश्किल समय में परिवार और दोस्तों का सहयोग बहुत मददगार होता है।
ध्यान और योग - मानसिक शांति के लिए ध्यान और योग बहुत प्रभावी उपाय हैं।

युद्ध का दर्द केवल घायल शरीरों तक सीमित नहीं रहता, यह दिमाग पर भी गहरे निशान छोड़ जाता है। वॉर सिंड्रोम एक साइलेंट किलर है, जो इंसान को अंदर से नष्ट कर सकता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि युद्ध के बाद मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए और पीड़ितों को सही समय पर इलाज और सहारा मिले।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।

Loving Newspoint? Download the app now