Top News
Next Story
Newszop

भारतीय परिधान निर्यातकों को वित्त वर्ष 2025 में 9-11 प्रतिशत राजस्व वृद्धि की उम्मीद

Send Push

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर . भारतीय परिधान निर्यातकों को वित्त वर्ष 2025 में 9-11 प्रतिशत के राजस्व वृद्धि की उम्मीद है. जिससे प्रमुख बाजारों में खुदरा इन्वेंट्री और देश में वैश्विक सोर्सिंग में बदलाव का फायदा मिलेगा, जो कई ग्राहकों द्वारा अपनाई गई जोखिम-मुक्त रणनीति का एक हिस्सा है. सोमवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.

मांग में सुधार के साथ, क्रेडिट रेटिंग आईसीआरए को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 और 2026 में पूंजीगत व्यय में वृद्धि होगी और यह कारोबार के 5-8 प्रतिशत के दायरे में रह सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय परिधान निर्यात की दीर्घकालिक संभावनाएं अनुकूल हैं.

भारतीय परिधान निर्यात को अंतिम बाजारों में उत्पाद की बढ़ती स्वीकार्यता, उभरते उपभोक्ता रुझान, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, निर्यात प्रोत्साहन, यूके और यूरोपीय संघ के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते आदि के रूप में सरकार से प्रोत्साहन मिल रहा है.

पीएलआई योजना के तहत नए कैपेसिटी एडिशन से प्राप्त होने वाले लाभों के अलावा, पीएम मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान योजना से बड़े पैमाने पर लाभ मिल रहा है.

मानव निर्मित फाइबर मूल्य श्रृंखला में देश की उपस्थिति को मजबूत कर वैश्विक परिधान व्यापार में भारत की उपस्थिति को मजबूत करने की उम्मीद है.

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में परिधान निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 9 प्रतिशत बढ़कर 7.5 अरब डॉलर हो गया.

आईसीआरए के श्रीकुमार कृष्णमूर्ति ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में 2 प्रतिशत की मामूली गिरावट के बाद, भारतीय परिधान निर्यातकों को वित्त वर्ष 2025 में 9-11 प्रतिशत राजस्व वृद्धि दर्ज करने का अनुमान है.

उन्होंने कहा कि राजस्व वृद्धि, संबंधित परिचालन लाभ और नरम कच्चे माल की कीमतों के बावजूद, उद्योग के परिचालन मार्जिन में वित्त वर्ष 25 में सालाना आधार पर 30-50 बीपीएस की कमी आने की उम्मीद है. इसमें श्रम लागत, माल ढुलाई लागत और अन्य परिचालन व्यय में वृद्धि शामिल है.

रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में हाल ही में हुए भू-राजनीतिक तनाव के कारण भारत सहित देश के बाहर क्षमता में वृद्धि हो सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “प्रतिस्पर्धी लागत पर श्रम की उपलब्धता और अमेरिका तथा यूरोपीय संघ को निर्यात पर अगले दो वर्षों के लिए सबसे कम विकसित देश का दर्जा दिए जाने से बांग्लादेश को अधिकांश अन्य विकासशील देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलेगी.”

एसकेटी/एबीएम

The post first appeared on .

Loving Newspoint? Download the app now