नई दिल्ली, 18 मई . हाल के दिनों में ऐसा बहुत कुछ हुआ है जो पाकिस्तान की बखिया उधेड़ता है. उस भ्रमजाल की तस्दीक करता है जो इस देश के हुक्मरान अपनी आवाम के इर्द-गिर्द बुन रहे हैं. फेक न्यूज फैक्ट्री के जरिए अनर्गल प्रलाप किया जा रहा है तो सेना का जनरल अपनी हरकतों से मिट्टी पलीत करा रहा है. ये नया पाकिस्तान है जो ‘टिकटॉक’ के जरिए फेक नैरेटिव गढ़ने की अद्भुत काबिलियत रखता है. दुनिया कह रही है कि पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क बनता जा रहा है जो पतन के कगार पर है. अंदर से खोखला हो चुका है. ऐसा देश जिसकी संरचना नाजुक और सैन्य कल्पनाओं के साथ ही कूटनीतिक फेल्योर का प्रमाण है.
“आर्मी अगाही नेटवर्क” सेना की वो ‘टुकड़ी’ है जो सोशल मीडिया पर फर्जी किले खड़े करने का काम करती है. पिछले दिनों ऐसे कई वीडियो आए जो अपनी जनता के बीच भारत की छवि बिगाड़ने और अपना इकबाल बुलंद करने की खातिर गढ़े गए, इन्हें भी ध्वस्त करने का काम हमारे देश ने फैक्ट चेक के जरिए कर दिखाया और इस हरकत से पाकिस्तान अपना ही मखौल उड़ाने में कामयाब हुआ! उसकी सेना मजाक का सबब बन गई है. नैरेटिव गढ़ने के चक्कर में जग हंसाई करा रहे हैं. सोशल प्लेटफॉर्म पर लोग जनरल मुनीर से ही सवाल कर रहे हैं कि ऐसे समय में जब सेना को प्रतिद्वंदियों को मुंह तोड़ जवाब देना था, वो टिकटॉक वीडियो बनाने में क्यों मगन है?
आर्थिक तौर पर भी देश कराह रहा है. ये ऐसा विरला देश है जो 1958 से लगातार आईएमएफ के सामने गिड़गिड़ाता रहा है और अब तक 24 बेल आउट पैकेज झोली में गिरवा चुका है. ये मदद उसके व्यवस्थित आर्थिक कुप्रबंधन का परिणाम है. देश का आर्थिक मॉडल ध्वस्त हो चुका है. दिवालिया देश दिखता कुछ और है और खुद को दिखाता कुछ और है. अपनी संरचनात्मक कमजोरियों पर गंभीरता से विचार करने के बजाय लगातार छुपाने में यकीन रखता है.
पाकिस्तान की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है, लेकिन मुल्क के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है. उसके लिए ये सब सामान्य सी बात है. सबसे हैरानी की बात ये है कि महज 2.4 प्रतिशत आबादी ही रिटर्न फाइल करती है (पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने 2024 में डेटा जारी किया था). कह सकते हैं कि कर प्रणाली भी एक तमाशे से ज्यादा कुछ नहीं है और हुक्मरान तमाशबीन से ज्यादा कुछ नहीं!
इस देश की दुर्दशा की कहानी वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) भी कहता है. 127 देशों की फेहरिस्त में पाकिस्तान 109वें पायदान पर है. यहां करीब 82 प्रतिशत आबादी स्वस्थ आहार का खर्च तक उठाने में असमर्थ है.
बात सैन्य हथियारों की करें तो सेना जिन हथियारों का ढिंढोरा पीटती रही, उसे तो भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने धूल में मिला दिया. श्रीलंका के डेली मिरर ऑनलाइन में प्रकाशित लेख सैन्य उपकरण के संस्थागत दिवालियेपन की दास्तान सुनाता है. ये कहता है- “इनके टैंक खराब हो जाते हैं, प्रशिक्षण के दौरान जेट दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. चीन और तुर्की से आयात किए कई ड्रोन अक्सर मिशन के बीच में ही विफल हो जाते हैं. हाल ही में बड़े पैमाने पर भारतीय स्थानों पर 400 ड्रोन तैनात किए गए जो लगभग पूरी तरह से विफल हो गए. ये ड्रोन अधिकतर नागरिक क्षेत्रों में रोके गए या दुर्घटनाग्रस्त हो गए.”
सेना और सरकार भू-राजनीतिक रणनीति को लेकर भी जाल बुनती है. पाकिस्तान ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल से इतनी हताशा में हाथ मिलाया कि वह आर्थिक रूप से खुद को नुकसान पहुंचाने की हद तक पहुंच गया है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जिसे गेम चेंजर साझेदारी के रूप में प्रचारित किया गया, अब दम तोड़ रहा है. इस क्षेत्र में रहने वाले लोग जबरदस्त विरोध कर रहे हैं, जिस कारण ड्रैगन भी कुछ खास प्रसन्न नहीं है.
बलूचिस्तान खुद को पहले ही पाकिस्तान से आजाद करने की मुनादी कर चुका है. बीएलए ने पाकिस्तानी सेना की ताकत की कलई खोल दी है तो देश के भीतर बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने हुक्मरानों की बोलती बंद कर रखी है.
ये उस पड़ोसी की हकीकत है जो अपनी ही जनता को भुलावे में रखता है. हर क्षेत्र में विफल है. सियासतदां ऐसे हैं जो भारत से दुश्मनी का दुखड़ा रोकर अपनी दुकान चला रहे हैं. मूलभूत अधिकार से जनता महरूम है, लेकिन जिस देश का रिमोट कंट्रोल आईएसआई के हाथों में हो, भला उससे उम्मीद उसकी अपनी आवाम करे भी तो कैसे!
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केआर/
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