Simla Agreement News: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया. इस हमले में 26 बेगुनाहों की जान गई. जिसके बाद भारत ने कड़े कदम उठाते हुए व्यापार, वीजा, और सिंधु जल संधि पर रोक की घोषणा की. जवाब में पाकिस्तान ने शिमला समझौते को निलंबित करने की धमकी दी. लेकिन सवाल यह है की इस समझौते के रद्द होने से किसे होगा ज्यादा नुकसान?
शिमला समझौता2 जुलाई 1972 को शिमला में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए. 1971 के युद्ध के बाद जिसमें पाकिस्तान की हार और बांग्लादेश का उदय हुआ. इस समझौते ने दोनों देशों के बीच शांति का ढांचा तैयार किया. इसकी प्रमुख शर्तें थीं.
- दोनों देश सभी विवाद द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाएंगे. बिना किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता.
- 1971 की युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा (LoC) के रूप में मान्यता दी गई.
- भारत ने 90,000 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को रिहा किया और कब्जाई जमीन लौटाई.
- ‘यह समझौता भारत-पाक संबंधों की नींव बना, लेकिन अब यह डगमगा रहा है.’
शिमला समझौता रद्द होने से भारत को कई रणनीतिक लाभ हो सकते हैं. पहला LoC की कानूनी पाबंदियां खत्म होने से भारत नई रणनीतियां बना सकता है. दूसरा आतंकी हमलों का जवाब देने के लिए भारत को सैन्य विकल्प खुले मिलेंगे. जो अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन नहीं कहलाएगा. तीसरा भारत की मजबूत वैश्विक स्थिति के चलते उसे अमेरिका, यूरोप, और इजरायल जैसे देशों का समर्थन मिल सकता है.
पाकिस्तान की चुनौतियांपाकिस्तान शिमला समझौते को रद्द कर कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश कर सकता है. लेकिन ‘दुनिया पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन के नैरेटिव से थक चुकी है.’ विश्लेषकों का मानना है. उसकी खराब वैश्विक छवि और कमजोर अर्थव्यवस्था इसे और मुश्किल में डाल सकती है. चीन के सहयोग की उम्मीद भले हो लेकिन भारत की रणनीतिक साझेदारियां इसे कमजोर कर सकती हैं.
LoC पर बढ़ेगा तनाव?शिमला समझौता रद्द होने से LoC की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है. दोनों देश इसे स्थायी सीमा नहीं मानेंगे. जिससे घुसपैठ और सैन्य झड़पों का खतरा बढ़ेगा. यह भारत-पाक रिश्तों को और अस्थिर कर सकता है. शिमला समझौता रद्द होने से भारत को रणनीतिक लाभ मिल सकता है जबकि पाकिस्तान की कूटनीतिक और आर्थिक मुश्किलें बढ़ेंगी. दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ना तय है लेकिन वैश्विक समीकरण भारत के पक्ष में हैं.
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