नई दिल्ली: अभिनेता सैफ अली खान के 25 लाख रुपये के कैशलेस इलाज के दावे को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स (AMC) ने भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) को एक पत्र भेजा है। AMC का कहना है कि मशहूर हस्तियों को विशेष सुविधाएं मिलती हैं, जबकि आम लोगों को बीमा क्लेम के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। AMC के 14,000 सदस्य हैं और उनका कहना है कि सैफ का क्लेम कुछ ही घंटों में मंजूर हो गया, जो आम नागरिकों के लिए असंभव है।
AMC ने पत्र में चिंता व्यक्त की है कि स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में एक 'दोस्ताना प्रणाली' काम कर रही है। एक ओर, मशहूर हस्तियों और कॉर्पोरेट पॉलिसीधारकों के क्लेम तुरंत स्वीकृत होते हैं, जबकि आम नागरिकों को देरी और कम प्रतिपूर्ति का सामना करना पड़ता है।
समानता का सिद्धांत कमजोर
AMC का कहना है कि इससे समान स्वास्थ्य सेवा का सिद्धांत कमजोर होता है। एक वरिष्ठ सर्जन ने बताया कि आमतौर पर मेडिकोलीगल मामलों में FIR जैसी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, लेकिन सैफ के मामले में ऐसा नहीं हुआ।
हेल्थ पॉलिसी विशेषज्ञ निखिल झा ने भी AMC की चिंताओं का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यदि यह कोई आम व्यक्ति होता, तो बीमा कंपनी उचित शुल्क लागू करती और क्लेम का भुगतान नहीं करती। झा ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'सैफ अली खान को तरजीही उपचार क्यों दिया गया?'
डॉक्टरों की चिंताएं
डॉक्टरों का तर्क है कि आम पॉलिसीधारकों के लिए इतनी बड़ी राशि की मंजूरी में काफी समय लगता है। एक सीनियर डॉक्टर ने इस असमानता पर जोर देते हुए कहा, 'इतनी बड़ी मंजूरी और इतनी तेजी से स्वास्थ्य सेवा उद्योग में बहुत कम देखने को मिलती है।'
AMC के मेडिको-लीगल सेल प्रमुख डॉ. सुधीर नाइक ने कहा, 'हम कॉर्पोरेट अस्पतालों या मशहूर हस्तियों के खिलाफ नहीं हैं। हम चाहते हैं कि आम मरीजों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया जाए।'
छोटे अस्पतालों की स्थिति
छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम, जो अक्सर कैशलेस सुविधाएं देने में असमर्थ होते हैं, महंगे कॉर्पोरेट अस्पतालों के हाथों मरीजों को खो रहे हैं। AMC ने चेतावनी दी है कि यह ट्रेंड किफायती स्वास्थ्य सेवा विकल्पों को मिटा रहा है।
पिछले हफ्ते एक घुसपैठिए ने सैफ अली खान पर हमला किया था, जिसके बाद उन्हें लीलावती अस्पताल ले जाया गया।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर लीक हुई जानकारी के अनुसार, खान ने अपने इलाज के लिए 35,95,700 रुपये का क्लेम किया था, जबकि बीमा कंपनी ने केवल 25 लाख रुपये मंजूर किए। इस घटना ने आम नागरिकों और सेलेब्रिटीज के बीच बीमा क्लेम में भेदभाव पर सवाल उठाए हैं।
IRDAI ने नए नियम बनाए हैं, जिनके तहत अस्पताल से डिस्चार्ज रिक्वेस्ट मिलने के तीन घंटे के भीतर बीमा कंपनियों को क्लेम पर निर्णय लेना होगा।
IRDAI के नए नियम
IRDAI ने मई 2024 में हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए नए नियम जारी किए थे। नए नियमों के अनुसार, अस्पताल से डिस्चार्ज रिक्वेस्ट मिलने के तीन घंटे के भीतर बीमा कंपनियों को फाइनल ऑथराइजेशन देना होगा।
इसके अलावा, IRDAI ने पॉलिसीधारकों के लिए डिजिटल प्री-ऑथराइजेशन प्रक्रिया लागू करने का भी निर्देश दिया है।
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