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महाभारत युद्ध के पीछे का कारण और श्रीकृष्ण के सुझाव

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महाभारत का संघर्ष

महाभारत के युद्ध का मुख्य कारण पांडवों और कौरवों के बीच सत्ता की लड़ाई थी। जब पांडवों ने अपने 13 वर्षों के वनवास और एक वर्ष के अज्ञातवास को समाप्त किया, तो उन्होंने अपना राज्य पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया। हालांकि, युद्ध से बचने की कोशिश में भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों की ओर से शांति के लिए समझौता करने का प्रयास किया। पांडवों ने केवल पांच गांवों की मांग की, ताकि बिना युद्ध के समझौता हो सके और विनाश से बचा जा सके.


श्रीकृष्ण के तीन सुझाव

महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने हस्तिनापुर जाकर शांति संधि के लिए तीन सुझाव दिए थे, जिनसे युद्ध को टाला जा सकता था। उनका पहला सुझाव था कि पांडवों को इंद्रप्रस्थ का उचित सम्मान लौटाया जाए। लेकिन धृतराष्ट्र, भीष्म, गुरु द्रोणाचार्य, कुलगुरु कृपाचार्य और दुर्योधन ने इसे ठुकरा दिया। दूसरा सुझाव था कि दुर्योधन और उसके भाई द्रौपदी और पांचाली के पैर छूकर क्षमा मांगें, जिससे दुर्योधन और भी अधिक क्रोधित हो गया।


तीसरा सुझाव था कि पांडवों को 5 गांव दिए जाएं, जिससे सभा में हलचल मच गई। श्रीकृष्ण ने जिन 5 गांवों की मांग की थी, वे थे अवस्थल, वारणावत, वृकस्थल, माकन्दी और एक अन्य गांव जो कौरव अपनी इच्छा से देना चाहें।


दुर्योधन का इनकार

हालांकि, दुर्योधन और शकुनि ने इस सुझाव को भी मानने से मना कर दिया। दुर्योधन ने कहा, "मैं उन्हें सुई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं दूंगा।" इसके अलावा, उसने श्रीकृष्ण को बंदी बनाने की कोशिश की, जिससे श्रीकृष्ण क्रोधित हो गए और कहा कि युद्ध और कौरवों का विनाश निश्चित है।


आज के समय में गांवों का स्थान

अवस्थल आज के कन्नौज शहर के रूप में जाना जाता है। वारणावत, शिवपुरी नामक स्थान है, जो उत्तराखंड में ऋषिकेश के उत्तर-पूर्व में स्थित है। वहीं, वृकस्थल हरियाणा के गुड़गांव जिले में है और माकन्दी गंगा नदी के किनारे कहीं स्थित है।


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