ताजमहल, जिसे विश्व के सात अजूबों में से एक माना जाता है, की सुंदरता सदियों से बरकरार है। यह महल, जो सफेद संगमरमर से बना है, दूर से देखने पर एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। ताजमहल की खूबसूरती का राज केवल उसकी भव्यता में नहीं, बल्कि उसकी देखभाल में भी है। क्या आप जानते हैं कि ताजमहल की सफाई एक विशेष प्रक्रिया के तहत की जाती है, जिसमें पाकिस्तान से लाई गई कुछ सामग्री का उपयोग होता है?
मुल्तानी मिट्टी का महत्व
ताजमहल की देखभाल के लिए हर साल गर्मियों में विशेष रसायनों के साथ मुल्तानी मिट्टी का लेप तैयार किया जाता है, जिसे 'मड पैकिंग' कहा जाता है। यह प्रक्रिया ताजमहल के पत्थरों को सूरज की तेज किरणों और गर्मी से बचाने में मदद करती है। इसके अलावा, यह पत्थरों के पीलेपन को भी कम करती है।
कैसे होती है मड पैकिंग?
मड पैकिंग के लिए पहले ताजमहल पर पानी का छिड़काव किया जाता है, फिर मजदूर बड़े ब्रशों की मदद से इसे लगाते हैं। यह प्रक्रिया तीन से चार महीने तक चलती है। मुल्तानी मिट्टी की खासियत यह है कि यह गंदगी और प्रदूषण को अपने अंदर समाहित कर लेती है।

ताजमहल की सफाई की प्रक्रिया
जब मिट्टी सूख जाती है, तो यह गंदगी को अपने में समाहित कर लेती है और फिर इसे धो दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद ताजमहल की चमक अपने चरम पर होती है। पहले साल में केवल एक बार मड पैकिंग की जाती थी, लेकिन अब यह साल में दो बार की जाती है।
मुल्तानी मिट्टी का स्रोत
यह प्रक्रिया पिछले साढ़े तीन सौ वर्षों से चल रही है, जिसमें मुल्तानी मिट्टी का उपयोग किया जाता है। यह मिट्टी पाकिस्तान के मुल्तान से आती है और इसे भारत में बड़े पैमाने पर खरीदा जाता है।
मुल्तानी मिट्टी के फायदे
मुल्तानी मिट्टी न केवल ताजमहल की गंदगी को हटाती है, बल्कि इसके रंग को भी निखारती है। इसे चेहरे की देखभाल में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह त्वचा को मुलायम बनाने और चर्मरोगों को समाप्त करने में मदद करती है।
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