ओडिशा के बहुचर्चित पटनागढ़ पार्सल बम मामले में एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को अभियुक्त पूंजीलाल मेहेर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
23 फरवरी, 2018 को ओडिशा के बलांगीर ज़िले के पटनागढ़ शहर में हुए इस बम विस्फोट में सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौम्य शेखर साहू (26) और उनकी दादी जेमामणि मेहेर की मौत हो गई थी, जबकि उनकी पत्नी रीमा गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं.
सौम्य शेखर और रीमा की शादी इस घटना के पांच दिन पहले ही हुई थी. सौम्य शेखर के घर पर उनकी शादी के कुछ दिन बाद एक गिफ़्ट भेजा गया था.
पति-पत्नी ने जब ये गिफ़्ट पैकेट खोला तो उसमें विस्फोट हो गया. ये मामला 'वेडिंग बम' केस के तौर पर चर्चित हुआ था.
फ़ैसले के बाद सरकारी वकील चित्तरंजन कानूनगो ने बताया कि अदालत ने मेहेर को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या की कोशिश), धारा 201 (प्रमाण छिपाना) और इंडियन एक्सप्लोसिव कानून की धारा 3 और 4 के तहत दोषी ठहराते हुए उन्हें दो आजीवन कारावास, दस-दस साल की दो सजा और सात साल की एक सज़ा सुनाई.
ये सारी सजाएं साथ-साथ चलेंगी. अदालत ने विभिन्न धाराओं के तहत मेहेर पर कुल एक लाख 70 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
कानूनगो ने बताया, "कोर्ट ने ये तो माना कि यह एक जघन्य अपराध था, लेकिन उसने सरकारी पक्ष की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि यह 'रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर' मामला है. अदालत ने मेहेर को फांसी दिए जाने की मांग ठुकराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.''
बम विस्फोट की ये घटना बलांगीर ज़िले के एक शांत शहर पटनागढ़ में 2018 की 23 फ़रवरी को हुई थी.
26 साल के सौम्य शेखर साहू और रीमा की शादी के पांच ही दिन हुए थे. दोनों लंच बनाने की तैयारी कर रहे थे तभी एक पार्सल उनके घर डिलीवर हुआ.
इस पर सौम्य का नाम लिखा था और ये पटनागढ़ से 230 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से भेजा गया था.
सौम्य ने जैसे ही गिफ़्ट के ऊपर बंधी डोरी खींची इसमें एक भीषण विस्फोट हो गया.
सौम्य उस समय किचन में थे. विस्फोट में उनकी और उनकी दादी की मौत हो गई जबकि रीमा ( उस समय 22 वर्षीय) बुरी तरह घायल हो गईं.
पुलिस अभियुक्त तक कैसे पहुंची
पुलिस ने लंबी पड़ताल के बाद टीचर और एक स्थानीय कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल पूंजीलाल मेहेर ( उस समय 49 वर्षीय) को गिरफ़्तार किया था. मेहेर वहां काम कर चुके थे, जहां सौम्य की मां ने पढ़ाया था.
इस मामले की जांच करने वालों ने बीबीसी संवाददाता सौतिक बिस्वास को बताया था कि मेहेर को सौम्य के परिवार से ईर्ष्या थी और उन्होंने बड़ी ही बारीकी से विस्फोट की योजना बनाई थी.
उन्होंने नकली नाम से रायपुर से ये पार्सल भेजा था. उन्होंने ये पार्सल कुरियर सर्विस से भेजा था.
ये पैकेट बस से 650 किलोमीटर का सफर करते हुए बलांगीर चला आया था.
इस बीच ये कई हाथों से गुजरा. जांचकर्ताओं ने बताया था ये देसी बम था और इसे जूट के धागे में बांध कर रखा गया था. जैसे ही इसे खोला गया ये फट गया.
जिस पैकेट में ये बम रखा गया था उसमें भेजने वाला का नाम एसके शर्मा लिखा था.
पार्सल रायपुर से भेजा गया था. जब पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला तो जांच करने वालों ने हजारों फोन रिकॉर्ड खंगाल डाले और लगभग 100 लोगों से पूछताछ की.
इनमें वो शख़्स भी शामिल था जिसने रीमा को उनकी सगाई के बाद धमकी दी थी. लेकिन पुलिस को इससे भी कोई सफलता हासिल नहीं हुई.

फिर उसी साल अप्रैल में पुलिस चीफ तक एक गुमनाम चिट्ठी पहुंची.
इसमें दावा किया गया कि बम उस पार्सल में भेजा गया था, जिसमें भेजने वाले का नाम एसके सिन्हा लिखा था एसके शर्मा नहीं.
इसमें ये संकेत दिया गया था कि हत्या ' धोखा ' देने की सजा देने और पैसे के इरादे से की गई.
इस चिट्ठी में दावा किया गया था कि 'तीन लोगों ने इस हत्या की योजना' बनाई थी और अब वे पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.
इसमें दूल्हे के विश्वासघात और पैसे हासिल करने के मकसद का जिक्र था (इसमें एक अपमानित प्रेमी या संपत्ति के विवाद की ओर इशारा था) . इसमें कहा गया था कि पुलिस बेकसूर लोगों को परेशान करना बंद करे.
इस चिट्ठी ने जांच की दिशा बदल दी.
अरुण बोथरा उस समय ओडिशा की क्राइम ब्रांच के प्रमुख थे. उन्होंने देखा कि पार्सल की रसीद पर लिखे नाम को सही तरीके से नहीं पढ़ा गया था. ये शर्मा नहीं सिन्हा जैसा लग रहा था.
सबसे अहम बात ये थी कि चिट्ठी लिखने वाले को ये बात पता थी. ऐसी बात इसे भेजने वाले को पता हो सकती थी.
पुलिस को अब विश्वास हो गया था कि संदिग्ध ने खुद ही चिट्ठी भेजी है.
बोथरा ने उस वक़्त बीबीसी को बताया था, ''ये साफ था कि पार्सल भेजने वाले को अपने अपराध के बारे में ज्यादा पता था. वह हमें बताना चाहता था कि अपराध किसी स्थानीय व्यक्ति का काम नहीं था. वो हमें बताना चाहता था कि साजिश तीन लोगों ने रची थी. वो चाहता था कि उसे गंभीरता से लिया जाए. इसलिए वह हमारी गलती की ओर इशारा करके हमें गुमराह करने की कोशिश कर रहा था.''
लेकिन सौम्य शेखर की कॉलेज टीचर मां ने अपने सहकर्मी (मेहेर) की लिखावट और लिखने की शैली पहचान ली थी. सौम्य की मां की वजह से मेहेर को अपने पद से हटना पड़ा था.
पुलिस ने पहले पेशेवर प्रतिद्वंद्विता की ये थ्योरी ख़ारिज कर दी थी लेकिन बाद में उसे इसे मानना पड़ा. पुलिस का अब मेहेर पर शक पक्का हो गया था.
पुलिस को कैसे दिया झांसापकड़े जाने पर मेहेर पहले ये कहकर बहाना बनाता रहा कि उससे जबरदस्ती चिट्ठी लिखवाई गई थी. हालांकि बाद में उसने अपराध कबूल लिया.
उसने बताया कि उसने दिवाली के दौरान पटाखे जमा कर उनसे गन पाउडर निकाला और फिर उससे बम बनाया और इसे रायपुर से कुरियर के जरिये सौम्य के घर के पते पर भेज दिया.
उसने झांसा देने के लिए कथित तौर पर अपना फोन घर पर ही छोड़ दिया था. उसने ट्रेन टिकट भी नहीं खरीदा क्योंकि वो सीसीटीवी कैमरे की पकड़ में आ सकता था. मेहेर सौम्य के शादी समारोह और फिर अंत्येष्टि में भी शामिल हुआ था.
बहरहाल सौम्य शेखर के माता और पिता ने अदालत के फैसले पर संतोष तो व्यक्त किया है लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वे इस फैसले के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे या नहीं.
सौम्य शेखर के पिता रविन्द्र कुमार साहू ने कहा कि इस बारे में वकील के साथ विचार-विमर्श करने के बाद निर्णय लेंगे. हालांकि उनकी पत्नी संयुक्ता ने कहा, "अगर निचले कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ पूंजीलाल हाई कोर्ट में जाता है तो हम भी जाएंगे."
ओडिशा क्राइम ब्रांच के तत्कालीन प्रमुख अरुण बोथरा की निगरानी में पूरी तहकीकात हुई थी. अरुण बोथरा ने इस फैसले पर संतोष व्यक्त किया है.
उन्होंने कहा, ''इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं था न ही कोई ठोस सबूत. सारा मामला परिस्थिति जन्य और फोरेंसिक सबूतों पर टिका था. इसलिए यह हमारे लिए बड़ी सफलता है.''
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
You may also like
IPL2025: RCB ने फाइनल में प्रवेश किया, पहले क्वालीफायर में पंजाब किंग्स को 8 विकेट से हराया
सावरकर पर टिप्पणी शर्मनाक, इंदिरा गांधी की विरासत को कांग्रेस कलंकित कर रही : संजय निरुपम
बिहार के मोतिहारी में हुई सड़क दुर्घटना में चार की मौत,तीन घायल
आईपीएल 2025: आरसीबी नौ साल बाद फ़ाइनल में पहुंची, पंजाब को आठ विकेट से हराया
हेज़लवुड और सुयश की धारदार गेंदबाज़ी और फिलिप साल्ट की आतिशी पारी, बैंगलुरु 8 विकेट से जीतकर IPL 2025 के फाइनल में पहुंची