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स्वर्ग से सुन्दर दिखने वाले राजस्थान के इस किले में छिपे है कई भयानक राज़, वीडियो में हर एक रहस्य जान निकल जाएगी चीख

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राजस्थान का चित्तौड़गढ़ किला अपनी भव्यता, अद्भुत वास्तुकला और ऐतिहासिक विरासत के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। लेकिन इस किले की दीवारों के पीछे एक ऐसा अतीत छुपा है, जिसे जानकर रूह तक कांप उठती है। प्राकृतिक सौंदर्य की चादर ओढ़े यह किला, सदियों से खून, बलिदान, जौहर और वीरता की भयानक गाथाओं का साक्षी रहा है।आइए जानें चित्तौड़गढ़ किले की सुंदरता के परदे के पीछे छिपी वे खौफनाक कहानियाँ जो आज भी इसे रहस्यमयी और भयावह बनाती हैं।


भव्यता में लिपटा दर्दनाक इतिहास
चित्तौड़गढ़ किला भारत का सबसे बड़ा किला माना जाता है, जो लगभग 700 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है। इसकी ऊंची-ऊंची दीवारें और भव्य महल आज भी राजपूती शान और गौरव की दास्तान सुनाते हैं। लेकिन इन ऊंची दीवारों के पीछे हजारों कहानियां छिपी हैं — विशेषकर जौहर की घटनाएं, जिन्होंने इस किले को हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया।यह किला तीन बड़े जौहरों का गवाह रहा है, जब हजारों क्षत्राणियों ने दुश्मनों के हाथों अपमानित होने के बजाय सामूहिक आत्मदाह करना चुना। यह बलिदान भले ही वीरता का प्रतीक माना जाता हो, लेकिन इसकी पीड़ा आज भी हवाओं में गूंजती महसूस होती है।

रानी पद्मिनी और पहला जौहर
चित्तौड़गढ़ के सबसे दर्दनाक अध्यायों में से एक है रानी पद्मिनी का जौहर।
14वीं शताब्दी में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर हमला किया था। उनकी नजर रानी पद्मिनी की सुंदरता पर थी। जब किले की रक्षा असंभव हो गई, तो रानी पद्मिनी ने सैकड़ों रानियों और राजपूत स्त्रियों के साथ जौहर कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दी।आज भी चित्तौड़गढ़ के जौहर कुंड को देखकर सिहरन होती है, जहाँ हजारों नारियों की चीखें इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।

जौहर कुंड का रहस्य
किले के भीतर स्थित जौहर कुंड को दुनिया का सबसे बड़ा जौहर स्थल माना जाता है। स्थानीय मान्यता है कि रात के समय जब हवाएँ चलती हैं, तो कुंड के आसपास अजीब सी सिसकियाँ और चीखें सुनाई देती हैं।कुछ पर्यटकों और स्थानीय निवासियों ने यहां अनजानी परछाइयों और रहस्यमयी हलचलों का अनुभव भी किया है।इस भयावह इतिहास ने चित्तौड़गढ़ किले को केवल एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि एक अलौकिक अनुभव का केंद्र भी बना दिया है।

वीरता के साथ बसा भय
चित्तौड़गढ़ का इतिहास केवल जौहर तक सीमित नहीं है। यहाँ की कहानियाँ महाराणा प्रताप, गोरा-बादल जैसे महान योद्धाओं की वीरता से भी जुड़ी हैं।लेकिन हर जीत या हार के पीछे भीषण रक्तपात, विश्वासघात और बलिदान की कहानियाँ छिपी हुई हैं।कई जगहों पर आज भी तलवारों के निशान, जली हुई दीवारें और खून से रंगे पत्थर देखने को मिलते हैं, जो चुपचाप उस दौर की भीषणता बयां करते हैं।

किले के भूतिया अनुभव
कई पर्यटकों और गाइड्स ने दावा किया है कि उन्होंने रात के समय किले के अंदर रहस्यमयी घटनाएं महसूस की हैं।कभी-कभी महलों के भीतर से अचानक घोड़े के दौड़ने की आवाजें आती हैं, तो कभी किसी स्त्री के विलाप की गूंज सुनाई देती है।हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन चित्तौड़गढ़ की भयावह विरासत इन कहानियों को और अधिक विश्वसनीय बना देती है।

प्राकृतिक सुंदरता और वीरान शांति
दिन के उजाले में चित्तौड़गढ़ किला बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। दूर-दूर तक फैला हरा-भरा परिदृश्य, ऊंचाई से दिखाई देती नदियाँ और घाटियाँ इस जगह को स्वर्ग जैसा बनाते हैं।लेकिन जैसे-जैसे सूरज ढलता है, इस प्राकृतिक सुंदरता के पीछे छुपा दर्द और डर धीरे-धीरे उभरने लगता है।यहाँ की वीरान गलियाँ, खाली महल और टूटती दीवारें उन हजारों आत्माओं की कहानियाँ सुनाती हैं जो कभी यहां जीवन से भरे थे।

पर्यटन और रोमांच
आज चित्तौड़गढ़ किला यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है और हर साल लाखों पर्यटक यहाँ आते हैं।इतिहास प्रेमी हों या रोमांच के शौकीन, इस किले में हर किसी के लिए कुछ ना कुछ है — वीरता की कहानियाँ, सुंदर स्थापत्य कला, और उन अजीब अनुभूतियों का अनुभव जो इस किले को एक अलग ही दुनिया बनाती हैं।

निष्कर्ष
चित्तौड़गढ़ किला एक ऐसा स्थान है जहाँ भव्यता, शौर्य और पीड़ा साथ-साथ चलते हैं।
यह किला न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे भारत के गौरव का प्रतीक है।लेकिन इसकी खूबसूरती के पीछे छिपे दर्दनाक इतिहास को जानकर हर कोई एक पल को थमकर सोचने पर मजबूर हो जाता है।अगर आप कभी चित्तौड़गढ़ जाएं, तो इस किले की दीवारों के बीच बहती वीरता, बलिदान और अनसुनी चीखों को महसूस करना न भूलें।

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