क्रिकेट न्यूज डेस्क।। राजस्थान के दो बड़े बांधों रामगढ़ (कुल नदी), महलपुर (पार्वती नदी) और नवनेरा (कालीसिंध नदी) बैराजों से बीसलपुर और ईसरदा तक पानी लाने के लिए सरकार एक्वाडक्ट तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है। इस तकनीक में नदी के ऊपर नहर निकाली जाएगी, जिससे नहर का पानी आगे बढ़ेगा। इतना ही नहीं, इस पुल के जरिए वाहन भी नदी पार कर सकेंगे। यह पुल कोटा और बूंदी के दो गांवों को जोड़ेगा।
निर्माण पर 2300 करोड़ रुपए की लागत आएगी चंबल नदी पर पानी की निकासी के लिए बनने वाला यह पुल 2280 मीटर लंबा, करीब 41.5 मीटर चौड़ा और 7.7 मीटर ऊंचा होगा। इसे बनाने पर करीब 2300 करोड़ रुपए की लागत आएगी। चूंकि चंबल घड़ियाल संरक्षित क्षेत्र है, इसलिए इस प्रोजेक्ट के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (एनबीडब्ल्यूएल) और वन विभाग की अनुमति जरूरी थी, जो मिल गई है। मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह जलाशय न केवल जल परिवहन करेगा, बल्कि कोटा, बूंदी और सवाई माधोपुर के बीच सड़क संपर्क भी प्रदान करेगा।
भूमि डायवर्सन की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जलाशय के निर्माण के लिए 24.05 हेक्टेयर वन भूमि डायवर्सन की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। वहीं, डक्ट का निर्माण करने वाली एजेंसी ने यहां निर्माण स्थल भी तैयार कर लिया है। परियोजना के लिए सर्वेक्षण और शोध कार्य पूरा हो चुका है। अब डिजाइन और ड्राइंग का काम अंतिम चरण में है।
जल निकासी पुल कोटा को बूंदी से जोड़ेगा
जलाशय का एक छोर कोटा के पीपलदासमेल गांव और दूसरा छोर बूंदी के गुहाटा गांव से जुड़ेगा। इससे कोटा के सुल्तानपुर तालुका के लोगों को बूंदी से गुजरने वाले कोटा-सवाई माधोपुर राजमार्ग से पक्की सड़क के माध्यम से अतिरिक्त पहुंच मिल सकेगी। इसके अलावा, परियोजना से नवनेरा बैराज से मेज एनीकट तक फीडर निर्माण की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
चंबल नदी पर जलाशय का निर्माण
उल्लेखनीय है कि पीकेसी-ईआरसीपी (रामजल सेतु लिंक परियोजना) परियोजना के प्रथम चरण में पैकेज-2 के अंतर्गत चंबल नदी पर जलाशय का निर्माण किया जा रहा है, जिससे प्रदेश के 17 जिलों को पेयजल एवं सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
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